Tuesday, September 4, 2018

Dengue Fever - cause, cure, precautions

उपचार (Dengue Cure  )

        यदि रोगी को साधारण या क्लासिकल डेंगू बुखार है तो उसका उपचार व देखभाल घर पर ही किया जा सकता है क्योंकि यह स्वयं ठीक होने वाला रोग है।  इसलिए केवल लाक्षणिक उपचार ही चाहिए उदाहरण के तौर पर स्वास्थ्य कर्मचारी की सलाह के अनुसार पेरासिटामोल की गोली या शरबत लेकर बुखार को कम रखिए।  रोगी को डिस्प्रिन-एस्प्रिन कभी ना दें , यदि बुखार 102 F से अधिक है तो बुखार को कम करने के लिए हाइड्रो थेरेपी या जल चिकित्सा करें सामान्य रूप से भोजन देना जारी रखें, बुखार की स्थिति में शरीर को और अधिक भोजन की आवश्यकता होती है।  रोगी को आराम करने दें। 
यदि रोगी में DHF या DSS  की ओर संकेत करने वाला एक भी लक्षण प्रकट होता नजर आए तो, शीघ्रातिशीघ्र रोगी को निकटतम अस्पताल में ले जाएं ताकि वहां आवश्यक परीक्षण करके रोग का सही निदान किया जा सके और आवश्यक उपचार शुरू किया जा सके जैसे कि :- द्रवों या प्लेटलेट्स कोशिकाओं को नसों में चढ़ाया जाना।  
प्लेटलेट्स एक प्रकार की रक्त कोशिकाएं होती हैं जो DHF तथा DSS  में कम हो जाती है।  यह भी याद रखने योग्य बात है कि डेंगू बुखार के प्रत्येक रोगी को प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती है। 


कृपया याद रखिए (Please Remember)

यदि समय पर सही निदान करके जल्दी उपचार शुरू कर दिया जाए तो DHF तथा DSS  का भी संपूर्ण उपचार संभव है। 


रोकथाम (Dengue Precautions)

डेंगू बुखार की रोकथाम सरल सस्ती तथा बेहतर है। आवश्यकता है कुछ सामान्य उपाय बरतने की।
उपाय निम्नलिखित हैं :-
1. मच्छरों को पनपने से रोकना -
  • घर के आस-पास कम से कम 100 मीटर के अर्थ व्यास में तो बिल्कुल भी कचरा ना रखें यह मच्छरों के लिए छिपने व आराम करने के स्थलों का कार्य करते हैं। 
  • अपने घर और आसपास पानी एकत्रित ना होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, अपने घर के आस-पास के क्षेत्रों में सफाई रखें, कूड़ा-करकट इधर-उधर ना फेकें, घर के आस-पास जंगली घास व झाड़ियां आदि ना होने दें।  
  • रुकी हुई नालियों को साफ कर दें,  रूम कूलरों तथा गमलों-फुलदानों का सारा पानी सप्ताह में एक बार पूरी तरह खाली कर दे,  इन्हे सुखाएं तथा फिर से भरें।  
  • पानी की टंकियों तथा बर्तन को सही तरीके से ढक कर रखें ताकि मच्छर उस में प्रवेश ना कर सके और प्रजनन ना कर पाएं।  
  • यदि रूम कूलरों तथा पानी की टंकियों को पूरी तरह खाली करना संभव नहीं है तो यह सलाह दी जाती है कि उनमें सप्ताह में एक बार पेट्रोल या मिट्टी का तेल डाल दें , प्रति लीटर पानी के लिए 30 मिलीलीटर पेट्रोल का या मिट्टी तेल का होना पर्याप्त है। ऐसा करने से मच्छरों के पनपने की गति रुक जाएगी।  
  • खाली व टूटे-फूटे टायरों, डिब्बों तथा बोतलों आदि का उचित विसर्जन करें।  
  • घर के आसपास सफाई रखें पानी के स्रोतों में आप कुछ छोटी किस्म की मछलियां जैसे की गम्बूजिया , लैबिस्टार भी डाल सकते हैं।  यह मछलियां पानी में मच्छरों व उनके अंगों को खा जाती हैं इन मछलियों को स्थानीय प्रशासनिक कार्यालयों जैसे की BDO, CMO, PHC, CHC कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है।  
  • फ्रिज के नीचे रखी हुई पानी इकट्ठा करने वाली ट्रे को भी प्रतिदिन खाली कर दें।  
  • यदि आपको लगता है कि आपके क्षेत्र में मच्छरों की संख्या में अधिक वृद्धि हो गई है या फिर बुखार से काफी लोग ग्रसित हो रहे हैं तो अपने स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र,  नगर पालिका या पंचायत केंद्र में अवश्य सूचना दें।  
2. एडीज मच्छर के काटने से बचाव -
  • यदि संभव हो तो खिड़कियों व दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोके। 
  •  मच्छरों को भगाने व मारने के लिए मच्छर नाशक, क्रीम, स्प्रे - मैट्स, कॉइल्स आदि का प्रयोग करें। 
  • गुंगुल धूप के धुएं से मच्छर भगाना एक अच्छा देसी उपाय है।  
  • रात में मच्छरदानी के प्रयोग से भी मच्छरों के काटने से बचा जा सकता है। 
  • सिनेट्रोला तेल भी मच्छरों को भगाने में काफी प्रभावी है।  
  •  ऐसे कपड़े पहनना चाहिए ताकि शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका जा सके, यह सावधानी बच्चों के लिए अति आवश्यक है। 
  •  बच्चों को मलेरिया सीजन ( जुलाई से अक्टूबर तक ) में निक्कर और टी शर्ट नहीं पहनायें तो बेहतर है।  
  •  मच्छर नाशक दवाई छिड़कने वाले कर्मचारी जब भी यह कार्य करने आए तो उन्हें मना मत कीजिए। घर में दवाई छिड़काव आप ही के हित में है। 
  •  घर के अंदर सभी क्षेत्रों में सप्ताह में एक बार मच्छर नाशक दवाई का छिड़काव अवश्य करें,  यह दवाई फोटो फ्रेम्स और परदों  कैलेंडरों आदि के पीछे तथा घर के स्टोर के सभी कोनों में अवश्य छिड़काव करवायें।  
  • दवाई छिड़कते समय अपने मुंह व नाक पर कोई कपड़ा अवश्य बांध लें तथा खाने पीने की सभी वस्तुओं को ढक कर रखें।  
  • यह भी याद रखने योग्य बात है कि एडीज मच्छर दिन में भी काट सकते हैं इसलिए इनके काटने से बचाव के लिए दिन में भी आवश्यक सावधानियां बरतें।  
  • यदि किसी कारणवश दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगाना संभव नहीं है तो प्रतिदिन पूरे घर में पयरीथ्राम घोल का छिड़काव करें।
  • डेंगू बुखार सर्वाधिक रूप से जुलाई से अक्टूबर माह के बीच की अवधि में होता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं , इसलिए इस मौसम में हर सावधानी बरतनी चाहिए। 
  •  अंत में एक सलाह और डेंगू बुखार से ग्रस्त रोगी को बीमारी के शुरू के 6-7  दिनों में मच्छरदानी से ढके हुए बिस्तर पर ही रखें ताकि मच्छर उस तक ना पहुंच पाए।  इस उपाय से समाज के अन्य व्यक्तियों को डेंगू बुखार से बचाने में काफी सहायता मिलेगी। 


यदि आपको कभी भी ऐसा लगे कि काफी व्यक्ति ऐसे बुखार से पीड़ित हैं जो डेंगू हो सकता है तो शीघ्र अति शीघ्र स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को इसकी सूचना दें।  ऐसा करने से डेंगू बुखार को महामारी का रूप धारण करने से पहले ही आवश्यक कदम उठा कर नियंत्रित किया जा सकेगा। 

स्त्रोत :- "महामारी का रूप ले सकने वाली बीमारियाँ  (पुस्तक ) - लेखक  डॉ. बीर सिंह "



Sunday, September 2, 2018

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Dengue Fever - cause, cure, precautions


डेंगू बुखार 

कारणउपचार तथा बचाव





डेंगू बुखार (Dengue Fever )

यह एक ऐसी बीमारी है जो काफी प्रचलित है और समय-समय पर इसे महामारी के रूप में देखा जा सकता है। 1996 में दिल्ली व उत्तर भारत के कुछ भागों में इसकी महामारी फैली थी। अभी यह बीमारी समस्या का रूप लेकर छत्तीसगढ़ के दुर्गभिलाई व रायपुर में फैली है
वयस्कों के मुकाबले बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है
यह बीमारी यूरोप महाद्वीप को छोड़कर पुरे विश्व में प्रभावी दिखती है। अनुमान है की प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोग पुरे विश्व में डेंगू से प्रभावित होते हैं। 

डेंगू बुखार क्या होता है 

डेंगू बुखार एक आम संचारी रोग है जिसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं :- तीव्र बुखार, अत्यधिक शरीर दर्द तथा सर दर्द ।
यह डेंगू बुखार वायरस या विषाणु द्वारा फैलाया जाता है। जिसके चार विभिन्न प्रकार हैं
टाइप - 1, 2, 3 तथा 4 । 
आम भाषा में इस बीमारी को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है, क्योंकि इसके कारण शरीर व जोड़ों में बहुत दर्द होता है। 






यह किस कारण होता है (Dengue Cause )

         मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। इन मच्छरों को एडीज मच्छर  कहा जाता है । एडीज मच्छर काफी ढीठ व साहसी प्रवृत्ति के होते हैं और दिन में भी काटने से नहीं बचते ।


डेंगू फैलता कैसे है (Spread of Dengue )

       मच्छर केवल पानी के स्रोतों में ही पैदा होते हैं जैसे की नालियों, गड्ढों, रूम कूलर्स, टूटी-फूटी बोतलों, पुराने टायर्स व खाली डिब्बों तथा ऐसी ही अन्य वस्तुओं में जहाँ पानी ठहरता है ।
भारत में यह रोग बरसात के मौसम में तथा उसके तुरंत बाद के महीनों, अर्थात जुलाई से अक्टूबर में सबसे अधिक होता है । डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस काफी मात्रा में पाया जाता है । जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काट लेता है, तो वह उस रोगी के खून के साथ डेंगू वायरस को भी चूस लेता है जो मच्छर के शरीर में अपना विकास करता है । इस प्रकार जब डेंगू वायरस युक्त मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति भी डेंगू वायरस से ग्रसित हो जाता है, तथा कुछ दिनों के बाद उसमे डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं ।
संक्रामक काल :- जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके लगभग 3 -5 दिनों बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं । यह संक्रामक काल 3 -10  दिनों तक का भी हो सकता ।

डेंगू बुखार के लक्षण (Dengue Symptoms )

  यह इस बात पर निर्भर करेगा की डेंगू बुखार किस प्रकार का है। डेंगू बुखार 3 प्रकार के होते हैं :-
1. क्लासिकल- साधारण डेंगू बुखार
               क्लासिकल (साधारण ) डेंगू बुखार के लक्षण :-
o ठंड लगने के साथ अचानक तेज़ बुखार चढ़ना
o सिर,मांसपेशियों तथा जोड़ो में दर्द होना 
o आँखों के पिछले भाग में दर्द होना जो आँखों को दबाने या हिलने से और भी बढ़ जाता है
oअत्यधिक कमजोरी लगना, भूख में बेहद कमी तथा जी मितलाना। 
o मुँह के स्वाद का खराब होना 
o गले में हल्का सा दर्द होना 
o रोगी का बेहद दुखी तथा बीमार महसूस करना 
o शरीर पर लाल रंग के ददोरे या रैश का उभरना शरीर पर लाल गुलाबी ददोरे हो सकते हैं,चेहरे,गर्दन तथा छाती पर विसरित दानों की तरह के ददोरे हो सकते हैंबाद में ये ददोरे और भी स्पष्ट हो जाते हैंसाधारण डेंगू बुखार की अवधि लगभग 5-7 दिन तक रहती है और रोगी ठीक हो जाता है
2.डेंगू हैमरेजिक बुखार  DHF
डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षण:-
यदि साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ । निम्नलिखित लक्षणों में से प्रकट होता है तो  DHF होने की आशंका करनी चाहिए। 
रक्तस्राव :- नाक मसूढ़ों से खून जाना शौच या उलटी में खून जानात्वचा पर गहरे नीले काले रंग के छोटे या बड़े चकते पड़ जाना आदि 
यदि रोगी की किसी स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा टोर्नीक टेस्ट किया जाये और यदि वह पॉजिटिव पाया जाता है तो प्रयोगशाला में कुछ रक्त परीक्षणों के आधार पर DHF की पुष्टि की जा सकती है । 
3 डेंगू शॉक सिन्ड्रोम DSS
डेंगू शॉक सिन्ड्रोम DSS के लक्षण :-
इस प्रकार के डेंगू बुखार में DHF के ऊपर बताये गए लक्षणों के साथ साथ शॉक की अवस्था के कुछ लक्षण भी प्रकट हो जाते हैं तो DSS की आशंका हो सकती है । डेंगू बुखार में शॉक के लक्षण होते हैं :-
o रोगी अत्यधिक बेचैन हो जाता है और तेज़ बुखार के बावजूद भी उसकी त्वचा ठंडी महसूस होती है । 
o  रोगी धीरे धीरे होश खोने लगता है। 
o यदि रोगी की नाड़ी देखी जाए तो वह तेज़ और कमजोर महसूस होती है । रोगी का रक्तचाप कम होने लगता है 

क्लासिकल या साधारण डेंगू बुखार एक स्वयं ठीक होने वाली बीमारी है, तथा इससे मृत्यु नहीं होती हैलेकिन यदि DHF तथा DSS का तुरंत उपचार शुरू नहीं किया जाता है तो वे जानलेवा सिद्ध हो सकते हैं  इसलिए यह पहचानना अत्यंत महत्वपूर्ण है की साधारण डेंगू बुखार है  या  DHFअथवाDSSहै