डेंगू बुखार
कारण, उपचार तथा बचाव
डेंगू बुखार (Dengue Fever )
यह एक ऐसी बीमारी है जो काफी प्रचलित है और समय-समय पर इसे महामारी के रूप में देखा जा सकता है। 1996 में दिल्ली व उत्तर भारत के कुछ भागों में इसकी महामारी फैली थी। अभी यह बीमारी समस्या का रूप लेकर छत्तीसगढ़ के दुर्ग, भिलाई व रायपुर में फैली है।
वयस्कों के मुकाबले बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है।
यह बीमारी यूरोप महाद्वीप को छोड़कर पुरे विश्व में प्रभावी दिखती है। अनुमान है की प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोग पुरे विश्व में डेंगू से प्रभावित होते हैं।
वयस्कों के मुकाबले बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है।
यह बीमारी यूरोप महाद्वीप को छोड़कर पुरे विश्व में प्रभावी दिखती है। अनुमान है की प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोग पुरे विश्व में डेंगू से प्रभावित होते हैं।
डेंगू बुखार क्या होता है
डेंगू बुखार एक आम संचारी रोग है जिसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं :- तीव्र बुखार, अत्यधिक शरीर दर्द तथा सर दर्द ।
यह डेंगू बुखार वायरस या विषाणु द्वारा फैलाया जाता है। जिसके चार विभिन्न प्रकार हैं।
टाइप - 1, 2, 3 तथा 4 ।
टाइप - 1, 2, 3 तथा 4 ।
आम भाषा में इस बीमारी को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है, क्योंकि इसके कारण शरीर व जोड़ों में बहुत दर्द होता है।
यह किस कारण होता है (Dengue Cause )
मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। इन मच्छरों को एडीज मच्छर कहा जाता है । एडीज मच्छर काफी ढीठ व साहसी प्रवृत्ति के होते हैं और दिन में भी काटने से नहीं बचते ।
डेंगू फैलता कैसे है (Spread of Dengue )
मच्छर केवल पानी के स्रोतों में ही पैदा होते हैं जैसे की नालियों, गड्ढों, रूम कूलर्स, टूटी-फूटी बोतलों, पुराने टायर्स व खाली डिब्बों तथा ऐसी ही अन्य वस्तुओं में जहाँ पानी ठहरता है ।
भारत में यह रोग बरसात के मौसम में तथा उसके तुरंत बाद के महीनों, अर्थात जुलाई से अक्टूबर में सबसे अधिक होता है । डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस काफी मात्रा में पाया जाता है । जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काट लेता है, तो वह उस रोगी के खून के साथ डेंगू वायरस को भी चूस लेता है जो मच्छर के शरीर में अपना विकास करता है । इस प्रकार जब डेंगू वायरस युक्त मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति भी डेंगू वायरस से ग्रसित हो जाता है, तथा कुछ दिनों के बाद उसमे डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं ।
संक्रामक काल :- जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके लगभग 3 -5 दिनों बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं । यह संक्रामक काल 3 -10 दिनों तक का भी हो सकता ।
भारत में यह रोग बरसात के मौसम में तथा उसके तुरंत बाद के महीनों, अर्थात जुलाई से अक्टूबर में सबसे अधिक होता है । डेंगू बुखार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस काफी मात्रा में पाया जाता है । जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काट लेता है, तो वह उस रोगी के खून के साथ डेंगू वायरस को भी चूस लेता है जो मच्छर के शरीर में अपना विकास करता है । इस प्रकार जब डेंगू वायरस युक्त मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति भी डेंगू वायरस से ग्रसित हो जाता है, तथा कुछ दिनों के बाद उसमे डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं ।
संक्रामक काल :- जिस दिन डेंगू वायरस से संक्रमित कोई मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके लगभग 3 -5 दिनों बाद ऐसे व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं । यह संक्रामक काल 3 -10 दिनों तक का भी हो सकता ।
डेंगू बुखार के लक्षण (Dengue Symptoms )
1. क्लासिकल- साधारण डेंगू बुखार
क्लासिकल (साधारण ) डेंगू बुखार के लक्षण :-
o
ठंड लगने के साथ अचानक तेज़ बुखार चढ़ना।
o
सिर,मांसपेशियों तथा जोड़ो में दर्द होना।
o
आँखों के पिछले भाग में दर्द होना जो आँखों को दबाने या हिलने से और भी बढ़ जाता है ।
oअत्यधिक कमजोरी लगना, भूख में बेहद कमी तथा जी मितलाना।
o
मुँह के स्वाद का खराब होना ।
o
गले में हल्का सा दर्द होना ।
o
रोगी का बेहद दुखी तथा बीमार महसूस करना ।
o
शरीर पर लाल रंग के ददोरे या रैश का उभरना शरीर पर लाल गुलाबी ददोरे हो सकते हैं,चेहरे,गर्दन तथा छाती पर विसरित दानों की तरह के ददोरे हो सकते हैं। बाद में ये ददोरे और भी स्पष्ट हो जाते हैं।साधारण डेंगू बुखार की अवधि लगभग 5-7 दिन तक रहती है और रोगी ठीक हो जाता है।
2.डेंगू हैमरेजिक बुखार DHF
डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षण:-
यदि साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ । निम्नलिखित लक्षणों में से प्रकट होता है तो DHF होने की आशंका करनी चाहिए।
रक्तस्राव :- नाक - मसूढ़ों से खून जाना शौच या उलटी में खून जाना, त्वचा पर गहरे नीले काले रंग के छोटे या बड़े चकते पड़ जाना आदि ।
यदि रोगी की किसी स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा टोर्नीक टेस्ट किया जाये और यदि वह पॉजिटिव पाया जाता है तो प्रयोगशाला में कुछ रक्त परीक्षणों के आधार पर DHF की पुष्टि की जा सकती है ।
3 डेंगू शॉक सिन्ड्रोम DSS
डेंगू शॉक सिन्ड्रोम DSS के लक्षण :-
इस प्रकार के डेंगू बुखार में DHF के ऊपर बताये गए लक्षणों के साथ साथ शॉक की अवस्था के कुछ लक्षण भी प्रकट हो जाते हैं तो DSS की आशंका हो सकती है । डेंगू बुखार में शॉक के लक्षण होते हैं :-
o रोगी अत्यधिक बेचैन हो जाता है और तेज़ बुखार के बावजूद भी उसकी त्वचा ठंडी महसूस होती है ।
o रोगी धीरे धीरे होश खोने लगता है ।
o यदि रोगी की नाड़ी देखी जाए तो वह तेज़ और कमजोर महसूस होती है । रोगी का रक्तचाप कम होने लगता है ।
क्लासिकल या साधारण डेंगू बुखार एक स्वयं ठीक होने वाली बीमारी है, तथा इससे मृत्यु नहीं होती है, लेकिन यदि DHF तथा DSS का तुरंत उपचार शुरू नहीं किया जाता है तो वे जानलेवा सिद्ध हो सकते हैं । इसलिए यह पहचानना अत्यंत महत्वपूर्ण है की साधारण डेंगू बुखार है या DHFअथवाDSSहै।
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