Wednesday, May 29, 2019

Heat Stroke - लू या ऊष्माघात

HEAT STROKE - लू या ऊष्माघात 
                          गर्मी के दिनों में गर्म हवाएं चलती है जो सामान्य रूप से 10 -12 किमी की रफ़्तार से चलती है। इन्ही हवाओं में से आमतौर पर अधिक गर्म हवाओं को लू या "ऊष्माघात" HEATSTROKE कहा जाता है गर्मियों में यह मैदानी क्षेत्रों में आम है । हमारे देश में सामान्यतया लू मई के महीने में चलती है। 

लू लगने से मौत
    गर्मी के दिनों में हम सभी धूप में घूमते हैं फिर भी कुछ लोगों की ही धूप के कारण अचानक मृत्यु हो जाती है। क्यों, आइए जानें -
           शरीर का सामान्य तापमान हमेशा 37 डिग्री सेल्सियस होता है इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते हैं। जब कभी शरीर का तापमान बढ़ने लगता है तो पसीने के रूप में पानी बाहर निकल जाता है और शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस बनाये रखता है। 
       पसीने के रूप में शरीर से बाहर निकलने तथा तापमान सामान्य बनाये रखने के अलावा पानी शरीर में अन्य भी बहुत सारे कार्य करता है, इस कारण पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होने के कारण शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना बंद कर देता है।
जिससे लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना बहुत जरूरी होता है अन्यथा शरीर में पानी की कमी हो जाएगी जिससे "डी हाइड्रेशन " की स्थिति पैदा हो सकती है। 
       जब बाहर का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार हो जाता है तो शरीर की ठंडक व्यवस्था (COOLING SYSTEM) बंद हो जाती है तब शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंचने लगता है। जब शरीर का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तब खून गर्म होने लगता है और खून में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है। स्नायु कड़क होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरूरी स्नायु भी काम करना बंद कर देती है। शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है ब्लड प्रेशर लो हो जाता है  ब्रेन तक ब्लड सप्लाई रुक जाता है। जिससे व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक-एक अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है। इस कारण गर्मी के दिनों में लू से बचने के लिए लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए और हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस बनाये रखने पर ध्यान देना चाहिए।
Equinox phenomenon: विषुव घटना 
             यह वैज्ञानिक नाम है जो लू या हीट स्ट्रोक से सम्बन्ध रखता है, यह अप्रैल व विशेषकर मई में भारत को प्रभावित करता है । 
                       यह प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है। और ऐसा दोपहर 12 से 3  बजे के मध्य में होने की सम्भावना सबसे प्रबल होती है।  जब तापमान 40 डिग्री के आस पास आता है तो खतरनाक रूप लेकर शारीरिक विचलन पैदा कर  देता है यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा और लू की सम्भावना बढ़ जाती है। 

लू या उष्माघात से बचने के उपाय 
1. दोपहर 12:00 से 3:00 के बीच घर से बाहर ना निकले। 
2. घर के बाहर छाता का प्रयोग करें अथवा कपड़े से सर को ढंककर अच्छी तरह नाक, कान और मुंह को बांधकर बाहर निकले ।
3. गर्मी के दिनों में कम से कम 3 लीटर पानी जरूर पीऐ किडनी की बीमारी वाले प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 लीटर पानी जरूर पिएं। 
4. ब्लड प्रेशर पर नजर रखें किसी।
5. खली पेट न रहें। 
6. गर्मी में मांस सेवन न करें। फल और सब्जियों को भोजन में ज्यादा स्थान दें । 
7. कमरों में पानी से आधे भरे एवं खुले पात्र रखकर वातावरण की नमी बरकरार रखें। इसके अलावा अपने होठों और आंखों को नम रखने का प्रयत्न करें। 
8. घर से बाहर निकलने से पहले कम  से कम 1 प्याज जरूर अपने साथ रखें।

लू लगने पर अपनाए देसी नुस्खे
1. कच्चे आम और प्याज को पीस ले, भुना हुआ जीरा और छोटी इलायची का चूर्ण मिलाकर हर 3 घंटे में सेवन करें। 
2. लगभग 1 ग्राम आंवले का चूर्ण ले उसमें 1 ग्राम मीठा सोडा (खाने का सोडा) और 3 ग्राम मिश्री और सौंफ मिलाकर रखें, लू लगने पर इसका सेवन करें।
3. पुदीने की थोड़ी सी पत्ती और 2 ग्राम सौंफ को भूनकर पीस ले तथा पानी में मिलाकर इसे लू लगने पर पिए! 
4. सौंफ का अर्क 2 छोटी चम्मच पुदीने का रस और दो चम्मच ग्लूकोस का पाउडर मिलाकर तैयार घोल का सेवन हर दो 2 घंटे में करें!
5. पर्याप्त मात्रा में पानी पियें। 
6. शरीर में नमक की कमी को पूरा करें। 
7. शरीर को उचित आराम देवें। 

IMPORTANT :-
इन सबके अलावा किसी भी स्थिति में यदि लू या उष्माघात (HEAT STROKE) के चपेट में आ जाते हैं तो तुरंत स्वास्थ्य सलाह लेने के लिए नज़दीकी चिकित्सक (DOCTOR) से संपर्क करें क्योकि जीवन अनमोल है। 

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