Thursday, May 30, 2019

Cancer - कैंसर

CANCER - कैंसर



         आधुनिक जीवनशैली में हम बहुत सारी सुख सुविधाओं का उपभोग करते हैं मगर इतनी आरामदायक परिस्थितियों के बावजूद भी हम वर्तमान में बहुत से बिमारिओं से ग्रसित हैं जिसमे से कुछ के इलाज़ तो आज तक संभव नहीं हो पायें  हैं इनमें  से ही एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है "कैंसर"  cancer . 
         सभी जानते हैं कि मानव शरीर कई प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बना है, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए इन कोशिकाओं में वृद्धि एवं विभाजन जैसी प्रक्रिया होती रहती है और जब यह कोशिकाएं पुरानी या क्षतिग्रस्त हो जाती है तो मर जाती है तथा उनके स्थान पर नई कोशिकाओं का विकास हो जाता है जो कि एक सामान्य प्रक्रिया है। 
इसके आगे यदि कोशिकाएं सामान्य तौर पर ना मरे तब क्या होता है ?
    

कैंसर की उत्पत्ति 

         मानव शरीर की इकाई होती है "कोशिका" मगर कैंसर की उत्पत्ति भी इन्हीं कोशिकाओं से शुरू होती हैl 
आइये जानते हैं - जब किसी कोशिका की डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाती है या उनमें बदलाव आता है तो उन में "उत्परिवर्तन" पैदा होता है जो कोशिकाओं के विकास व विभाजन को प्रभावित करता है जिसके कारण कोशिकाएं नहीं मरती है बल्कि उन में वृद्धि होने लगती है तथा यह वृद्धि ही मानव शरीर में ट्यूमर का रूप धारण कर लेता है ! यही ट्यूमर कैंसर का रूप हो सकता है। 
                                                                          सभी ट्यूमर कैंसर वाले नहीं होते हैं तथा यह शरीर से हटाए भी जा सकते हैं, किंतु कुछ टयूमर ऐसे नहीं  हैं यह ट्यूमर कैंसर के होते हैं जिनमें कोशिकाएं आसपास के ऊतकों पर आक्रमण कर लेती है तथा शरीर के अन्य भागों में पनपने लगती हैं। 

आइए जानते हैं महिला व पुरुषों में कौन-कौन से कैंसर ज्यादा पाए जाते हैं

1. पुरुषों में - मुंह का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, रक्त कैंसर आदि होते हैं!
             इन रोगों का प्रमुख कारण खानपान और जीवनशैली है, विशेषकर तंबाकू, बीड़ी, गुटखा ,सिगरेट के सेवन से समस्या पैदा होती हैं। 

2. महिलाओं में - स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, गर्भाशय कैंसर आदि।  
             इन रोगों का प्रमुख कारण जीवनशैली है। मगर फिर भी महिलाओं में होने वाले रोग अचानक होने वाले रोगो में शामिल है। 

कैंसर के सामान्य लक्षण

 वैसे तो कैंसर का कोई विशिष्ट लक्षण नहीं होता लेकिन इन लक्षणों या परिवर्तन के बारे में जो हर व्यक्ति को ध्यान में रखना चाहिए -
1. मुंह के कैंसर - इसमें जीभ व गाल के भीतरी हिस्से मैं 2 हफ्ते या उससे ज्यादा समय से मुंह की फुंसी या छालों का रहना आदि।  
2. पेट का कैंसर - भूख में कमी, खानपान की आदतों में बदलाव, मलद्वार में रक्त आना ,अचानक वजन का कम होना, शरीर के किसी गांठ से अगले भाग से खून आना, हाथ के बगल में कोई गांठ होना, त्वचा में खिंचाव होना आदि। 
3. सर्वाइकल कैंसर - शरीर के हिस्सों से रक्त स्त्राव, शारीरिक संबंध के बाद रक्त का आना आदि। 
4. फेफड़े का कैंसर - लार में खून आना, लंबे समय तक कफ का रहन, खांसने में रक्त आना आदि। 
5. स्तन कैंसर - स्तन में गठान, स्तन में दर्द आदि।  
6. प्रोस्टेट कैंसर - मूत्र त्याग में समस्या दर्द , जलन आदि।
7. गर्भाशय कैंसर - माहवारी में समस्या, पेट में या गर्भाशय में दर्द आदि।
                        ये सभी कैंसर के प्रमुख लक्षण हो सकते हैं, इसलिए ऐसे लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।

कैंसर की जांच

         कैंसर का पता लगाने के लिए कोई विशेष टेस्ट नहीं है, मगर उम्र के हिसाब से लगातार अपना रूटीन चेकअप करवाते रहना चाहिए। खास तौर पर उम्र 45 से 70 वर्ष के होने पर हर वर्ष मेमोग्राफी टेस्ट करवाना चाहिए तथा जिन महिलाओं की उम्र 30 से 35 वर्ष है उन्हें 5 साल में एक बार पीएपी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। 
          इसके अलावा अपने डॉक्टर की सलाह समय अनुसार लेते रहें। 

सावधानियां

1. पोषण युक्त भोजन लेना चाहिए!
2. नियमित व्यायाम करना चाहिए!
3. दिनचर्या संयमित रखें। 
4. शारीरिक परिवर्तन को गंभीरता से लें। 
5. 40 वर्ष अधिक होने पर लगातार डॉक्टर से संपर्क बनायें रखें। 

IMPORTANT -
उपरोक्त लक्षणों को नजरअंदाज ना करें तथा शरीर में कोई भी स्पष्ट लक्षण दिखाई दे जो तीन-चार सप्ताह से ठीक नहीं हो रहे हो तो उसे नजरअंदाज ना करें तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले -"क्योंकि समय रहते इस घातक बीमारी की पहचान ही सही इलाज है"!

for more information please visit on - https://www.cancer.org

Wednesday, May 29, 2019

Heat Stroke - लू या ऊष्माघात

HEAT STROKE - लू या ऊष्माघात 
                          गर्मी के दिनों में गर्म हवाएं चलती है जो सामान्य रूप से 10 -12 किमी की रफ़्तार से चलती है। इन्ही हवाओं में से आमतौर पर अधिक गर्म हवाओं को लू या "ऊष्माघात" HEATSTROKE कहा जाता है गर्मियों में यह मैदानी क्षेत्रों में आम है । हमारे देश में सामान्यतया लू मई के महीने में चलती है। 

लू लगने से मौत
    गर्मी के दिनों में हम सभी धूप में घूमते हैं फिर भी कुछ लोगों की ही धूप के कारण अचानक मृत्यु हो जाती है। क्यों, आइए जानें -
           शरीर का सामान्य तापमान हमेशा 37 डिग्री सेल्सियस होता है इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते हैं। जब कभी शरीर का तापमान बढ़ने लगता है तो पसीने के रूप में पानी बाहर निकल जाता है और शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस बनाये रखता है। 
       पसीने के रूप में शरीर से बाहर निकलने तथा तापमान सामान्य बनाये रखने के अलावा पानी शरीर में अन्य भी बहुत सारे कार्य करता है, इस कारण पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं होने के कारण शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना बंद कर देता है।
जिससे लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना बहुत जरूरी होता है अन्यथा शरीर में पानी की कमी हो जाएगी जिससे "डी हाइड्रेशन " की स्थिति पैदा हो सकती है। 
       जब बाहर का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार हो जाता है तो शरीर की ठंडक व्यवस्था (COOLING SYSTEM) बंद हो जाती है तब शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंचने लगता है। जब शरीर का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तब खून गर्म होने लगता है और खून में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है। स्नायु कड़क होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरूरी स्नायु भी काम करना बंद कर देती है। शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है ब्लड प्रेशर लो हो जाता है  ब्रेन तक ब्लड सप्लाई रुक जाता है। जिससे व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक-एक अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है। इस कारण गर्मी के दिनों में लू से बचने के लिए लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए और हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस बनाये रखने पर ध्यान देना चाहिए।
Equinox phenomenon: विषुव घटना 
             यह वैज्ञानिक नाम है जो लू या हीट स्ट्रोक से सम्बन्ध रखता है, यह अप्रैल व विशेषकर मई में भारत को प्रभावित करता है । 
                       यह प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है। और ऐसा दोपहर 12 से 3  बजे के मध्य में होने की सम्भावना सबसे प्रबल होती है।  जब तापमान 40 डिग्री के आस पास आता है तो खतरनाक रूप लेकर शारीरिक विचलन पैदा कर  देता है यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा और लू की सम्भावना बढ़ जाती है। 

लू या उष्माघात से बचने के उपाय 
1. दोपहर 12:00 से 3:00 के बीच घर से बाहर ना निकले। 
2. घर के बाहर छाता का प्रयोग करें अथवा कपड़े से सर को ढंककर अच्छी तरह नाक, कान और मुंह को बांधकर बाहर निकले ।
3. गर्मी के दिनों में कम से कम 3 लीटर पानी जरूर पीऐ किडनी की बीमारी वाले प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 लीटर पानी जरूर पिएं। 
4. ब्लड प्रेशर पर नजर रखें किसी।
5. खली पेट न रहें। 
6. गर्मी में मांस सेवन न करें। फल और सब्जियों को भोजन में ज्यादा स्थान दें । 
7. कमरों में पानी से आधे भरे एवं खुले पात्र रखकर वातावरण की नमी बरकरार रखें। इसके अलावा अपने होठों और आंखों को नम रखने का प्रयत्न करें। 
8. घर से बाहर निकलने से पहले कम  से कम 1 प्याज जरूर अपने साथ रखें।

लू लगने पर अपनाए देसी नुस्खे
1. कच्चे आम और प्याज को पीस ले, भुना हुआ जीरा और छोटी इलायची का चूर्ण मिलाकर हर 3 घंटे में सेवन करें। 
2. लगभग 1 ग्राम आंवले का चूर्ण ले उसमें 1 ग्राम मीठा सोडा (खाने का सोडा) और 3 ग्राम मिश्री और सौंफ मिलाकर रखें, लू लगने पर इसका सेवन करें।
3. पुदीने की थोड़ी सी पत्ती और 2 ग्राम सौंफ को भूनकर पीस ले तथा पानी में मिलाकर इसे लू लगने पर पिए! 
4. सौंफ का अर्क 2 छोटी चम्मच पुदीने का रस और दो चम्मच ग्लूकोस का पाउडर मिलाकर तैयार घोल का सेवन हर दो 2 घंटे में करें!
5. पर्याप्त मात्रा में पानी पियें। 
6. शरीर में नमक की कमी को पूरा करें। 
7. शरीर को उचित आराम देवें। 

IMPORTANT :-
इन सबके अलावा किसी भी स्थिति में यदि लू या उष्माघात (HEAT STROKE) के चपेट में आ जाते हैं तो तुरंत स्वास्थ्य सलाह लेने के लिए नज़दीकी चिकित्सक (DOCTOR) से संपर्क करें क्योकि जीवन अनमोल है।